कोई जागे न जागे उसका मुकद्दर
मेरा धर्म जगाना है-राष्ट्र संत तरूण सागर
- पहले दिन खुद में बदलाव की नसीहत
सागवाड़ा 19 मई। कोई जागे न जागे यह उसका मुकद्दर है। मैं तो मनुष्य मात्र के जीवन और जीवन में परिवर्तन के लिए निकला हॅू। मेरा धर्म जगाना है। यह कहना है कि राष्ट्र संत तरूण सागर महाराज का।
डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा कस्बे में शनिवार से शुरू हुए मुनिश्री के कड़वे प्रवचनों के पहले दिन क्रांतिकारी राष्ट्रसंत ने स्वयं में बदलाव पर जोर दिया। उन्होने कहा ये परिवर्तन के क्षण है। इस बात के मुगालते में मत रहो कि दुनिया बदल जाएगी। सच तो यह है कि हमें ही बदलना होगा। हममें बदलाव आने पर सारी स्थिति अपने आप बदल जाएगी। उन्होने सोच और नजरिये के बदलाव पर जोर दिया और कहा कि नजर बदलती है तो नजारे अपने आप बदल जाते है। मुनि श्री ने कहा दुनिया के कहने की परवाह मत करों, दुनिया का तो काम ही कहना है।
मुनि श्री ने कहा कि सुनना सिखों। आज विडम्बना यह है हर कोई सुनाना चाहता है, सुनना कोई नहीं चाहता। जरूरी नहीं है कि हर प्रश्र का उत्तर दिया जाए। दुनिया में नब्बे प्रतिशत प्रश्र ऐसे है जिनका जवाब देना जरूरी नहीं होता। लेकिन हम है कि गैरवाजिब सवालों के जवाब देने में भी नहीं चुकते।
जब सत्संग से लौटो तो
सागवाड़ा। मुनि श्री ने सत्संग के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि सत्संग केवल शब्दों का आडम्बर नहीं है सत्संग से जीवन में परिवर्तन आना चाहिए। जीवन की सोच बदलनी चाहिए। उन्होने परिवार को हरिद्धार बनाने में सत्संग की भूमिका रेखांकित करते हुए कहा यदि सांस सत्संग से घर लौटे तो बहू को लगना चाहिए कि अम्माजी गंगाजी नहा के आई है। यदि बहुरानी सत्संग से घर लौटे और सांस किन्हीं कारणों से सत्संग में न आ पाई हो तो उसे लगना चाहिए कि बहुरानी संस्कारी हो गई है और उसमें बदलाव को अनुभव करके सांस के मुंह से बर्बस निकलना चाहिए, बहू मैंं तुझसे क्या कहॅू आईलवयू यही नहीं बेटे के मन में पिता के प्रति विचार बदलने चाहिए। सत्संग से लौटकर पुत्र के मन में अपने हाथ में तिजोरी की चाबी आने के भाव बदल जाने चाहिए। सत्संग का असली मर्म यही है कि श्रद्धालु श्रोता के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आना चाहिए। मुनि श्री ने कहा कि सत्संग से व्यक्ति के जीवन में साहस, सहनशीलता और सत्य के सदगुणों का विकास होता है।
जिन्दा आदमी की निन्दा
सागवाड़ा। मुनिश्री ने जीवन में निन्दा के महत्व को विवेचित करते हुए कहा कि निन्दा जिन्दा होने का लक्षण है। आज तक संसार में किसी भी मुर्दा व्यक्ति की निन्दा नही हुई। निन्दा होने का अर्थ है व्यक्ति जिन्दा है इसलिए निन्दा की परवाह भी मत करों। मुनि श्री ने ईश्वर से अनुठी प्रार्थना करने की सिख देते हुए कहा कि भगवान की तारीफो में पुल बांधने की प्रार्थनाएं तो पूजा ग्रहो में की गई दीवारो से बाते है। असली प्रार्थना तो यह है कि साधक ईश्वर से कहे कि हे प्रभु मुझे इतनी ताकत देना कि मैं अपनी आलोचनाएं सह सकु।
बौने पन का अहसास
सागवाड़ा। मुनिश्री ने स्वयं के मूल्यांकन पर जोर देते हुए कहा कि इंसान को सदैव आत्मनिरीक्षण करते रहना चाहिए। भगवान ज्ञान के सागर है, करूणा के सागर है, दयानिधि है, परम शक्तिशाली है, सबको पार लगाने वाले है आदि कथन को जगजाहिर है। भगवान क्या है वो सबको पता है। अरे पगले तू क्या हैं इस बात का पता कर। मुनिश्री ने अनुठे दृष्टांत के साथ स्पष्ट किया कि हिमालय के सामने जाकर जब अपने बौने पन का अहसास हो जाए तो समझना कि हिमालय की यात्रा सार्थक हो गई। इसलिए ताकतवर के सामने अपने अस्तित्व का भान हो जाए तभी समझना कि हमारी इबादत पूरी हो गई।
इससे बड़ा आरक्षण क्या होगा
सागवाड़ा। मुनिश्री ने कन्या भ्रुण हत्या जैसे ज्वलंत मुद्दे पर मार्मिक विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज समाज में हालात ऐसे है कि घर में बेटी पैदा हो तो सबको मुंह बिगडने लगता है। बेटा पैदा होने पर ऐसा नाचते है मानो उन्हे तारने वाला आ गया। उन्हे पता नहीं है कि यह तारने वाला नहीं मारने वाला है। मुनिश्री ने हर कही तीस प्रतिशत महिला आरक्षण की मांग की चर्चा करते हुए कहा कि वे नारी शक्ति के संवर्धन के पक्षधर है, लेकिन भारत के शाश्वत चिंतन में आरक्षण का सबसे बड़ा उदाहरण पेश कर रखा है। जब पराये घर से एक बेटी बहु बनकर घर में आती है, आते ही उस अंजान महिला को घर की तिजोरी की चाबी थमाकर उसे मालकिन बना देने की परम्परा आरक्षण का सबसे बड़ा उदाहरण है। मुनिश्री ने महिलाओं से मुखातिब होते हुए कहा कि बोलबाला तो आपका ही है, ताकत चाहिए तो इंसान देवी दुर्गा की शरण लेता है, धन के लिए लक्ष्मी की और बुद्धि के लिए सरस्वती की गुहार लगाता है। अब बचा क्या जो पुरूष ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पास जाएगा। यही नहीं भारतीय शास्त्रों ने सीताराम, राधेश्याम की व्यवस्था करके नारी सम्मान को नई ऊचाईयॉ दी है। मुनिश्री ने कहा कि नारी शक्ति के कारण धर्म जिन्दा है।
प्रधानमंत्री कौन
सागवाड़ा। कड़वे प्रवचनो में व्यंग के साथ-साथ हास-परिहास गोल देने में समर्थ राष्ट्र संत तरूण सागर महाराज ने शनिवार को प्रवचन के पहले दिन राजनीति पर भी खूब प्रहार किये और अपनी चुटकियों से भरे पाण्डाल में ठहाके लगवाएं। मुनिश्री ने कहा नारी हर हाल में सब पर भारी है। इसी पर मुनिश्री ने कहा कि देश और दुनिया के किसी भी इंसान से पूछो कि भारत का प्रधानमंत्री कौन है तो जो जवाब मिलता है वह नारी की असली ताकत बताने वाला होता है। मुनिश्री ने संकतो में युपीए संयोजक एवं कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की राजनीतिक ताकत का जिक्र करते हुए महिलाओं से कहा कि ताकत में वे पुरूषों से कम नहीं है।
आधे दु:ख उधार के
सागवाड़ा। मुनिश्री ने जीवन में सुख दु:ख की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में हर एक इंसान के जीवन में 50 प्रतिशत दु:ख उधार लिये हुए है ये उधार भी ज्यादातर पडौस से लिया हुआ है। मुनिश्री ने कहा पडौसी की प्रगति, उन्नति, समृद्धि आदि को देखकर मन में जो ईष्र्या भाव पैदा होते है वहीं दु:ख बन जाते है। मुनिश्री ने कहा कि अमेरिका में बिजली चली जाए तो व्यक्ति फ्यूज देखता है। ब्रिटेन में बिजली विभाग को शिकायत की जाती है लेकिन भारत में बिजली चली जाने पर आदमी पडौस में झाकता है। उसके वहां गई की नहीं। यदि पडौसी की बिजली भी गुल है तो मन में संतोष होने लगता है कि उसके वहां भी नहीं है। इस नजरिये के चलते जीवन में न सुखी हो पाओगे न प्रसन्न। मैं हर एक इंसान के चेहरे पर मुस्कान देखने का मकसद लेकर सन्यास में निकला हॅू। आपके चेहरे पर मुस्कान देखना ही मेरा लक्ष्य है। सहनशील बन जाओं, खुद में परिवर्तन के लिए तैयार हो जाओ और दिल बड़ा कर लो तब आपके चेहरे से मुस्कान कभी नदारद नहीं होगी।
Bahut Sundar........
ReplyDeletewhenever i listen to them .he assigns me a new self evaluation.hats off.
ReplyDeleteSir by writing a blog u have done a great job.