Sunday, April 8, 2012

भक्ति के बिना जीवन निरर्थक- तरूण सागर



जैन चैत्यालय से विहार
      बांसवाड़ा 8 अप्रैल। राष्ट्र संत तरूण सागर महाराज ने कहा है कि  संत का सानिध्य मनुष्य को भक्ति, आस्था और श्रद्धा से युक्त जीवन जीने का अवसर देता है लेकिन  दुर्भाग्यशाली लोग इस अवसर पर लाभ नहीं उठा पाते। उन्होने कहा है कि भक्ति के बिना जीवन निरर्थक है।
      महाराज रविवार को गांधी मूर्ति स्थित जैन चैत्यालय से विहार कर मोहन कॉलोनी स्थित जैन मंदिर में दर्शन के बाद उदयपुर रोड़ स्थित अशोक वोरा के निवास गुरू सदन में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। महाराज श्री ने कहा कि संत जहां से चलते है वहां सूना-सूना हो जाता है तथा जहां पहुंचते है वहां सोना-सोना हो जाता है। मुनि श्री ने कहा जिस श्रद्धालु के यहां संत का आगमन हो वह भाग्यशाली कहा जाता है। जिस श्रद्धालु को संत की सेवा का अवसर मिले वह अहोभाग्यशाली कहा जाता है। जिसे संत याद करें वह महाभाग्यशाली और जो संतो को याद करें वह सौभाग्यशाली माना जाता है लेकिन इन सबके बावजूद भी जिसके मन मस्तिष्क में भक्ति भाव पैदा न हो और सुधरने को तत्पर न रहें वह दुर्भाग्यशाली है।
      चैत्यालय से भव्य जुलुस और गाजे-बाजे के साथ महाराज श्री का विहार हुआ। शाम 6 बजे मोहन कॉलोनी स्थित जैन मंदिर में दर्शन किये तथा वहां से भव्य जुलुस उदयपुर रोड़ स्थित मोहन कॉलोनी जैन समाज के अध्यक्ष अशोक वोरा के निवास गुरू सदन पहुंचा। यहां वोरा परिवार व श्रद्धालुओं ने मुनि श्री की आरती उतारकर पधरावनी की। धर्मसभा में जैन समाज के महामंत्री डॉ. दिनेश जैन ने मुनि श्री के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। जैन समाज के अध्यक्ष एवं गुरू सदन के अशोक जैन ने मुनि श्री के अपने निवास पर पधारने के लिए मुनि का आभार व्यक्त किया। उन्होेने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मुनि श्री का उनके निवास पर पधारना पूर्वजो के पुण्य प्रताप का परिणाम है। उन्होने कहा कि मुनि श्री का आना उनके जीवन में शबरी की कुटिया पर राम के आगमन जैसी खुशी और पुण्य देने वाला है। संघस्थ संगीतकार सुरेश वाडेकर ने मंगला चरण किया। मुनि श्री की मंगल आरती में उपस्थित श्रद्धालुओं ने दीप जलाकर महाराज श्री के आगमन की खुशियॉ मनाई।
      आनन्द यात्रा 6 बजे से
      बांसवाड़ा। जीवन को तनाव मुक्त बनाने तथा हास-परिहास के साथ प्रेरक प्रसंगो के जरिए जीवन को ज्ञान धारा से जोड़ने के उद्देश्य से भारत में तरूण सागर महाराज द्वारा शुरू की गई आनन्द यात्रा ऎसा आयोजन है जिसमें बच्चे और वृद्ध के बीच अंतर समाप्त हो जाता है। सभी उम्र के श्रद्धालु इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है। गुरू सदन में निवास करने तक मुनि श्री के सानिध्य में प्रतिदिन शाम 6 बजे से आनन्द यात्रा कार्यक्रम होगा। इस आयोजन में श्रद्धालुओं और मुनि श्री के बीच संवाद का ऎसा सिलसिला चलता है जो ज्ञान भक्ति और श्रद्धा की त्रिवेणी में हर किसी को आप्लावित कर देता है।

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