Sunday, April 1, 2012

कड़वे प्रवचन की पहली भोर, प्रार्थना और परिवर्तन पर जोर



संसार का कोहराम अर्ध सत्य की देन-राष्ट्रसन्त तरूणसागरजीपहले ही दिन छोटा पड़ा पांडाल

-प्रकाश पंडया

बांसवाड़ा, 01,अप्रेल।
 
क्रांतिकारी राष्ट्रसन्त मुनि तरूणसागजी महाराज की कड़वे प्रवचन माला का शुभारम्भ बांसवाड़ा के ऐतिहासिक कुशलबाग मैदान में  रविवार को ध्वजारोहण, मण्डप उदघाटन, गुरूचरण प्रक्षालन, शास्त्र भेंट, श्रीफल अर्पण तथा भगवान महावीर स्वामी के चित्र अनावरण के साथ हुआ।
मुनि श्री के प्रवचनों के माध्यम से जीवन उद्धार की खोज में उमड़ी जन मैदिनी को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रसन्त ने प्रवचन माला के पहले दिन हजारों जिज्ञासु श्रद्धालु श्रोताओं को प्रार्थना और जीवन में स्वयं के आचरण में परिवर्तन का आहवान किया। मुनिश्री ने कहा कि आज का मानव पूर्ण सत्य से अनभिज्ञ है संसार में जो कुछ विसंगतियाँ व्याप्त है तथा जो कोहराम मचा हुआ है वह अर्ध सत्य की देन है मनुष्य ने पाण्डाल में उमड़े हजारों श्रद्धालुओं के हुजुम को जीवन के परम सत्य से रूबरू कराते हुए कहा कि जब तक इंसान अधूरे सत्य की गिरफ्त में रहेगा तब तक उसे दुखों का सामना करते रहना पड़ेगा। प्रवचन माला के पहले दिन मुनि श्री ने जीवन कल्याण के सूत्र प्रतिपादित किये साथ ही सत्य, सफलता, अहंकार मुक्त जीवन के साथ मानव योनी को सफल बनाने की राह प्रशस्त की।

हम इकसठवे माले पर, चाबी .............

मुनि श्री ने कहा कि आज का मानव जीवन का मकसद भूल गया है लक्ष्य से भटकाव उसे मानवीय दायित्वों से दूर कर रहा है। मुनिश्री ने मनोविनोद शैली में प्रेरणास्पद संस्मरण सुनाते हुए कहा कि कर्इ बार मुम्बर्इ महानगर में किसी सत्तर मंजिला र्इमारत के इकसठवे माले पर रहने वाले चार मित्रो को बिजली खुल होने के कारण सीढि़याँ चल कर अपने आवास तक पहुँचना पड़ा यह दूरी तय करने लिए बारी-बारी से कहानी सुनानी तय किया। आखिरी चौथे मित्र की बारी आने पर उसने अपने मित्रों से आश्वासन मांगा कि वे कहानी सुनाने पर उसकी पिटार्इ नहीं करेंगे। कहानी क्या थी दर्द की दास्तान थी। इकसठवे माले पर जा कर चौथे मित्र ने कहा बड़ी तकलीफ के साथ कहा कि चाबी नीचे गाड़ी में रह गर्इ है। मुनिश्री ने कहा कि आज अधिकांश लोगो को जीवन भी ऐसा ही हो गया है खुद तो इकसठवे माले पर है मगर जिन्दगी जीने के सूत्र की चाबी नीचे पड़ी हुर्इ है। इन्सान मरघट तक पहुँचने की यात्रा तक भी जिन्दगी जीने के तरीके की चाबी नही खोज पा रहा है।


सफलता ले जाती बाथरूम

  प्रवचन माला के पहले दिन मुनिश्री ने अपनी चीर परिचित शैली में प्रवचन करते हुए वीर रस भावों में हास परिहास भी खूब घोला। मुनिश्री ने जीवन में तनिक सफलता पा लेने वाले अहंकारी और अल्पज्ञानी लोगो पर व्यंग्य करते हुए कहा जीवन में ऐसी सफलता किस काम की जो मनुष्य की सेवा के लिए उनके बीच न ले जाकर बाथरूम में कैद कर दे। मुनिश्री ने कहा कि अक्सर ऐसा अनुभव किया जाता है कि कोर्इ आदमी थोड़ी सी सफलता हासिल कर लेता है और उससे आमजन बात करने का प्रयास करता है तो लगातार एक ही उत्तर मिलता है साहब बाथरूम में है मुनिश्री ने आगाह किया कि जीवन में यदि उपलबिध मिल जाये तो उसका उत्सव तो मनाओ लेकिन अहंकार को अपने पर हावी मत होने दो।

मलार्इ का मलाल
  मुनिश्री ने कहा एक सामान्य गृहिणी दूध उबालते समय यदि मलार्इ नीचे गिर जाए तो दिनभर मलाल करती रहती है यही हाल सांसारिक जीवन जीने वाले हर शक्स हो रहा है मुनिश्री ने कहा कि रोटी बिगड़ जाए, व्यापार बिगड़ जाए, रिश्तेदार बिगड़ जाए यहाँ तक कि जिन्दगी में भारी से भारी नुकसान हो तो चिन्ता मत करना बस इस बात का ध्यान रखना कि मन न बिगड़ पाए उन्होनें कहा कि दु:ख, कष्ट, चिन्ता, परेशानी और प्रतिकूलता में हिम्मत से काम लो छोटे नुकसान के लिए जी मत जलाओं ग्राहक की जेब पर नहीं उसके दिल पर नजर रखों। जेब पर नजर रखोगे तो जेब कतरे बन जाओगे और दिल पर नजर रखोगे तो पुण्य कमाओगे।

जब सत्संग से लौटो तो ..............
  मुनिश्री ने कहा कि दुनिया नही बदलेगी स्वयं में परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने कहा सत्संग में आने का अर्थ घर लौटकर महसूस होना चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि सास सत्संग से लौटे तो बहु को लगे वे गंगाजी नहा के आर्इ है। बहू सत्संग से लौटे तो सास के मन में आत्मीयता उमड़नी चाहिए। पिता सत्संग से लौटे तो पुत्र के मन से तिजौरी की चाबी हाथ लगने के भाव समाप्त हो जाने चाहिए और पुत्र सत्संग से लौटे तो दुनिया पिता को सराहते हुए कहे कि किन पुण्यों और तपस्याओं का फल है जो ऐसा पुत्र पाया है।

मैं लुहार की बात करूँगा ...............
  मुनिश्री ने कहा कि मैं सुनार की नही लुहार की बात करूँगा एक समय था जब मे भी मीठे प्रवचन करता था लेकिन उन मीठे प्रवचनों मे आने वाले दस-बीस लोग सुनते नही बलिक निद्रामग्न हो जाते थे मजबूर होकर मुझे कड़वे प्रवचन करना शुरू करना पड़ा मुनिश्री ने कहा कि मीठे प्रवचन सन्त के मुख से निकलकर श्रोता के कान पर खत्म हो जाते है। लेकिन कड़वे प्रवचन मुख से निकलकर श्रोता के कर्णद्वार को चीरते हुए सीधे दिल को छू जाते है मुनिश्री ने चैत्र मे नीम रस पान की कड़वाहट और कड़वे प्रवचनों की कटूता मे फर्क बताते हुए कहा कि नीम रस तन की बीमारी दूर करते है जबकि कड़वे प्रवचन मन को स्वस्थ और प्रसन्न रखते है।


आधे दु:ख उधार के .............
  मुनिश्री ने कहा कि आज का इंसान अपने स्वयं की करतूत के कारण दुखी है उन्होंने कहा कि आज का मनुष्य अपने में नहीं जीता भगवान महावीर ने कहा है अपने होने में राजी हो जाओ दुख नहीं सतायेंगे। झुठी शान शौकत में जीवन बिताने की आदत हमें दुखी बना रही है। गरीब होना दुख नहीं है कर्जदार होना दुख है मुनिश्री ने व्यंग्य के लहजे में कहा मेरे सपने में बापू आए और पूछा देश में क्या हो रिया है मैंने कहा बापू चादर है छोटी और पैर पसार कर सो रिया है इसलिए सारा देश रो रिया हैं। मुनिश्री ने कहा कि हमारे दुख र्इष्र्या जनित है अमरिका में बिजली गुल होने पर बिजली विभाग के दफ्तर फोन लगाया जाता है, बि्रटेन में घर का फ्यूज देखा जाता है लेकिन भारत में पड़ौसी के घर में झांका जाता है यह देखने के लिए कि उसके यहाँ गर्इ या नहीं  यदि पड़ौसी की बिजली भी गुल है तो संतोष का विषय है।

तुमने पुकारा और हम  .............
  मुनिश्री ने कहा कि इस धरती पर चार तरह के इंसान रहते है एक भाग्यशाली दुसरे सौभाग्यशाली तीसरे महाभाग्यशाली और चौथे दुर्भाग्यशाली। भाग्यशाली वे है जिनके पास धन है सौभाग्यशाली वे है जिनके पास धन और स्वास्थ्य दोनो है महाभाग्यशाली वे है जिनके पास धन, स्वास्थ्य के साथ धर्म भी है लेकिन दुर्भाग्यशाली के पास धन, स्वास्थ्य और धर्म में से कुछ नहीं होता है। मुनिश्री ने कहा कि भाग्यशाली बने रहना है तो धन को दान करो मुनिश्री ने भक्तों की श्रेणियाँ बतार्इ और कहाँ कि भक्त के पास पुकार होती है उस पुकार में बहुत ताकत होती है। वह ताकत जो मीरा के मुख से निकल कर Ñष्ण को बुला लाती है, हनुमान के मुख से निकलकर राम को बुला लाती है, चन्दनबाला के मुख से निकलकर महावीर को बुला लाती है और बाँसवाड़ा वासियों से मुख निकलकर तरूणसागर को बुला लाती है। इस पर पाण्डाल में तुमने पुकारा हम चले आए के साथ गुरूदेव का जयकारा गूंज उठा।

ध्वजा रोहण और मण्डप उदघाटन  .............
  मुनिश्री के कुशलबाग मैदान में मंगल प्रवेश के साथ ही बलभ्रद जैन परिवार ने ध्वजारोहण, छगनलाल मेहता ने मण्डप उदघाटन किया। सुरेश वाडेकर व लक्ष्मी साहू के मंगलाचरण के बाद महावीर गंगवाल ने शास्त्र भेंट किए। संजय,राजेश व हितेश गांधी ने पद प्रक्षालन किया। पंचोरी परिवार ने गुरू पूजन कर अघ्र्य अर्पित किया। रानी चेलना मंच की ओर से भकितपूर्ण नृत्य प्रस्तुति दी गर्इ। प्रथम दिवस प्रवचन माला के प्रमुख अतिथि जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर.एन.चाहिल विशिष्ट अतिथि छगनलाल मेहता ने भगवान महावीर स्वामी के चित्र का अनावरण किया और श्रीफल भेंट कर मुनिश्री का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर सल्लेखना तीर्थ के लिए परम शिरोमणि संरक्षक प्रितेश भुता सहित विभिन्न समितियों के संयोजक का बहुमान किया। समारोह का संचालन ब्रम्हचारी सचिन भैयाजी ने किया। मुनि श्री के प्रवचन आगामी 5 अप्रेल तक रोजाना प्रात: 8.30 बजे से शुरु होंगे। शाम 6 बजे पृथ्वी क्लब में रोजाना आनन्द यात्रा का कार्यक्रम होगा।

No comments:

Post a Comment