Thursday, April 5, 2012

जीवन को तमाशा नहीं, तीर्थ बनाइए-राष्ट्रसंत तरूण सागर



पढाया पाठ, खुलवाई गांठ
गुरूमंतर्् दीक्षा आज

-प्रकाश पंड्या
बांसवाड़ा, 5 अप्रेल। जीवन जीेने के दो तरीके है आप चाहे तो इसे तमाशा बना सकते है और आप चाहे तो तीर्थ, मरजी आपकी। मांसाहार और मदिरापान जैसे व्यसन को अपनाएंगे तो यह जीवन तमाशा ही नहीं नर्क भी बन जाएगा और यदि खान-पान की शुद्धता रखी तो यही जीवन तीर्थ भी बन सकता है। प्रख्यात राष्ट्रसंत क्रान्तिकारी मुनि तरूण सागर महाराज ने गुरूवार को बांसवाड़ा के ऎतिहासिक कुशलबाग मैदान में कडवे प्रवचन माला के विराम दिवस पर पाण्डाल में उपस्थित हजारों लोगों को जीवन की बुराइयां छोडकर सत् संकल्प और शुभ कार्य अपनाने का आह्वान किया। हर जाति वर्ग धर्म समुदाय के उपस्थित हजारों महिला पुरूष श्रद्धालुओं ने हाथ उपर उठाकर मुनि श्री को संकल्प व्यक्त किया कि वे जीवन में कभी मांसाहार और मदिरापान का सेवन नहीं करेंगे। कडवे प्रवचन माला के पांचवे दिन मुनि श्री ने अपने वीर रस से ओतप्रोत प्रवचन देने के अलावा हास परिहास मनोविनोद और मार्मिक संस्मरण सांझा करते हुए हर आयु वर्ग के श्रद्धालुओं को दायित्व बोध कराया। मुनि श्री के सान्निध्य में गुरू मंतर्् दीक्षा का भव्य कार्यक्रम शुक्रवार प्रातः साढे आठ बजे कुशलबाग मैदान में होगा।

तो जहर क्यों नहीं?

प्रवचन माला के विराम दिवस पर मुनि श्री उदबोधन व्यसन मुक्त जीवन और खानपान की शुद्धता पर क्रेन्दि्रत रहा। उन्होंने कहा जीवन में एक बुराई तो उसके पीछे पीछे बीसियों बुराइयां स्वतः चली आती है। उन्होंने कहा कि मद्यपान करने वाले कुछ युवाओं से जब उन्होंने शराब का सेवन छोडने की नसीहत दी तो युवाओं का तर्क था यह भी एक अनुभव है लेने में क्या आपत्ति है इस पर मुनि श्री ने युवाओं से कहा तो फिर सेवन का अनुभव क्यों नहीं लेते इसका भी तो अनुभव लीजिए। युवाओं ने कहा नहीं मुनिवर जहर से तो हमारा जीवन ही समाप्त हो जाएगा। इस पर मुनि श्री ने कहा मद्यपान करने वाली पीढी ना समझ है उसे नहीं पता मद्यपान से जीवन जीते जी नर्क हो जाता है। उन्होंने कहा यह जीवन परोपकार और परमात्मा की उपासना के लिए मिला है। मुनि श्री ने कहा जिसका खानपान शुद्ध नहीं उसका खानदान भी शुद्ध नहीं होता। विचारों की शुद्धता आहार की शुद्धता पर निर्भर करती है। मुनि श्री ने कहा प्रत्येक मॉ बाप की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को बुरी नजर से ही नहीं बुरी संगत से भी बचाए क्योकि बुरी संगत से आपका बच्चा बुरी पंगत में बैठने लगेंगा और बुरी पंगत से उसकी जिंदगी की खूबसुरत रंगत खत्म हो जाएगी।

मुकम्मिल दस्तखत करेंगे पीएम

मुनि श्री ने अपने साधुता और सन्यस्थ जीवन के चार दुर्लभ सपने पूरे होने के बाद चार नए सपनों का जिक्र किया और कहा कि लाल किले से राष्ट्र को संबोधन, भारतीय सेना दल के बीच प्रवचन, विधानसभा और लोकसभा में उदबोधन के बाद भगवान महावीर को जैन समाज के मंदिरों से मुक्त कराकर विश्व के ह्रदय पटल पर स्थापित करने के चार सपने पूरे होने के बाद उन्होंने चार और सपने देखे है उनमें से एक है देश के 10 लाख लोगों को मांसाहार और मदिरापान के व्यसन से मुक्त करना। पहले संकल्प पतर्् पर हस्ताक्षर मध्यप्रदेश के मुख्यमंतर््ी शिवराजसिंह चौहान ने किए है और इस महत संकल्प का दस लाखवां संकल्प पतर्् तत्कालिन प्रधानमं़तर््ी के दस्तखत के साथ मुकम्मिल होगा। गुरूवार को मध्यप्रदेश से आए मुस्लिम समुदाय के मुनि भक्त ने भी मांसाहार और मदिरापान त्यागने का संकल्प पतर्् भरा।

रक्तदान यानी कुए का पानी


मुनि श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को जीते जी रक्तदान करे और मरणोपरान्त नेतर््दान के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि रक्तदान से बडा कोई पुण्य नहीं। उन्होंने कहा कि जो लोग इस पूर्वाग्रही मानसिकता में जीते है कि रक्त देने से रक्त का टोटा पड जाएगा उन्हें कहना चाहुंगा कि जीते जी जरूरत मंद को रक्तदान करना कुएं द्वारा पीने के लिए पानी दिए जाने के समान है। बाल्टी भर पानी निकालने के बाद कुएं में फिर उतनी ही मात्र में पानी की आपूर्ति हो जाती है शरीर में रक्तदान के बाद रक्त की पूर्ति भी उसी प्रकार हो जाती है।

कुत्ता कल्चर को कोसा

मुनि श्री ने कहा एक जमाना था जब बेटी की सगाई के लिए मॉ बाप लडके के घर जाते थे तो उसकी हैसीयत का पता गौधन से लगाते थे जितना गौधन उतनी ही समृद्धि लेकिन आज तो कुत्ता कलचर बढ रहा है। विश्व सुन्दरी जैसा खिताब पाने वाली हिरोइनों को विदेशी नस्ल के कुत्त के पिल्ले को गोद में उठाए जब चुमते हुए देखकर वर्तमान की युवा पीढी मन में सोचती है काश अगले जनम में कुत्ते का पिल्ला बनने मिल जाए। मुनि श्री ने आहवान किया कि आज भी अहिंसा प्रधान भारत देश में सूर्योदय होने से पूर्व 40 हजार गाए कत्ल खानों में अकाल मौत की भेट चढ चुकी होती है। उन्होंने कहा कत्लखाने जाती एक गाय को बचाना वैष्णों देवी और सम्मेदशिखर जी की यात्र के पुण्य से कम नहीें है। चमडे की वस्तुओं का इस्तेमाल करना भी हिंसा का समर्थन करना है। मुनि श्री ने कहा कि उनका एक ओर बहुत बडा सपना पूरा हुआ है जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के 60 लाख सदस्यों ने चमडे के बेल्ट और जूते न पहनने का संकल्प लिया है। दो ओर सपने चर्च और मस्जिद में प्रवचन तथा नेपाल तक भारतीय संस्कृति और दर्शन का शंखनाद संजोए हुए है जो गुरू और भगवान महावीर की कृपा से शीघ्र पूरे हो जाएंगे।

कहो ना प्यार है...

मुनि श्री ने सहिष्णुता के अभाव में परिवार के घनिष्ठतम सदस्य और रिश्तेदारों के बीच बढते कलह और इस कलह से बढती दूरियों को भारतीय संस्कृति और दर्शन के विपरीत बताया और पति पत्नी के बीच मन मुटाव का रोचक संस्मरण सांझा करते हुए नई पीढी की समझ का मनोविनोपूर्ण दृष्टान्त दिया। मुनि श्री ने कहा एक दिन पति पत्नी के बीच विवाद के बाद बोलचाल बंद हो गई पति को अगले दिन सुबह 6 बजे की गाडी से अन्य शहर की यात्र करनी थी पत्नी से संवाद बंद था इसलिए पती ने रात को सोते समय एक परची पर लिखा मुझे कल 6 बजे की गाडी से उदयपुर जाना है पांच बजे जगा देना। दूसरे दिन सुबह की 8 बज गई पति आग बबुला हो कर उठा इससे पहले कि पत्नी को खरी खोटी सुनाए उसकी नजर सिरहाने पत्नी द्वारा लिखी पर्ची पर पडी पर्ची पर लिखा था सुबह की पांच बज गई है उठ जाइए। आजकल की पत्नी के ये तो हाल है और बाहर ढिढोरा पीटते है कहो ना प्यार है। भारत पाकिस्तान जैसे दोनो के बीच हालात है और कहते है हम साथ साथ है। मुनि श्री ने मार्मिक संदेश संप्रेषित करते हुए कहा लड लेना, झगड लेना, पीट देना, पीट जाना लेकिन कभी भी बालचाल बंद मत करना क्योकि बोलचाल बंद हो जाने स सुलह के द्वार बंद हो जाते है। मुनि श्री ने कहा जैन धर्म में 6 माह से अधिक का बैर दुर्गति का सूचक माना गया है। काव्यात्मक अंदाज में मुनि श्री ने सीख देते हुए कहा कितना अच्छा होता हर आदमी बच्चा होता क्योकि बच्चा दस मिनट से ज्यादा बैर नहीें पालता।

बदल गए है अर्जुन-श्रेणिक के सवाल

मुनि श्री ने बदलते युग और परिवर्तित समय के बीच स्वयं में बदलाव पर रोज की तरह प्रवचन विराम दिवस पर भी बल दिया और कहा कि मैं बदला लेने नहीं तुम्हें बदलने आया हूं मैं घर घर जाने नहीं तुम्हारे दिलों में घर करने आया हूं। उन्होंने सावधान किया और कहा कि अर्जुन के पुराने समय के सवाल में कृष्ण के जवाब गीता बन गए श्रेणिक के सवालों पर भगवान महावीर के जवाब आगम बन गए लेकिन आज दोनों के सवाल बदल गए है अर्जुन के सवाल पहले जैसे नहीं रहे श्रेणिक के प्रश्न भी पहले जैसे नहीं रहे इसलिए कृष्ण और महावीर को भी जवाब बदलने होंगे। मुनि श्री ने इस प्रसंग पर मुल्ला नसरूददीन का हास परिहास से भरा किस्सा सुनाया तो श्रद्धालुओं से खचाखच भरा पाण्डाल हंसी के फव्वारों में हंसी की बारिश में भीग गया।

पुरूषार्थ, प्रार्थना और प्रतीक्षा

मुनि श्री ने भारतीय अध्यात्म का कालजेयी दर्शन प्रस्तुत करते हुए कहा जीवन में सही तरीके से जीवनयापन के लिए भारत का अध्यात्म तीन सूतर्् प्रतिपादित करता है पहला पुरूषार्थ दूसरा प्रार्थना और तीसरा प्रतीक्षा आज के इंसान को पुरूषार्थ के अगले ही पल फल चाहिए। मंदिर की सीढीया उतरा नहीं कि दाये बांये झाककर परिणाम तलाशने लग जाते हो। पुरूषार्थ के बाद प्रार्थना और उसके बाद प्रर्तीक्षा करना ही इंसान का धर्म है। फल के बारे में सोचना मनुष्य के अधिकार क्षेतर्् में नहीं है किसान का काम बीज वपन करना है अंकुरण की शक्ति किसी ओर के हाथ में है।

रसोई बनाम किचन

किसी जमाने में घर में रसोई हुआ करती थी आज इंसान ने कीचन बना लिया है। जहां रस बरसे वह रसोई और जहां कीच कीच हो वह कीचन। कीचन की और परिवार की कीच कीच हमारी ही उपज है। चौका शब्द की विवेचना करते हुए मुनि श्री कहा कितना खाए, कैसे खाए, कब खाए और क्यो खाए इन चार ककारो का ध्यान रखना ही चौका कहलाता है आज के इंसान ने खान पान की शुद्धता और खानपान के शास्तर्् सम्मत संविधान को भूला दिया है इसीलिए अन्न से उत्पन्न होने वाले विचार भी दुषित पैदा हो रहे है। मुनि श्री ने कहा कि महिला शक्ति, धर के पुरूष सदस्यों को आत्मीयता पूर्वक भोजन तो कराए लेकिन परिवार के ही किसी सदस्य के खिलाफ भडकाए नहीं। नारी शक्ति का दायित्व है वह अपने बोल से परिवार में बाग लगाए आग नहीं।

वागड भी मेट्रो से कम नहीं-खोडणिया

 जैन समाज सागवाडा के पदाधिकारी दिनेश खोडणिया ने कडवे प्रवचन माला के विराम दिवस पर मुख्य अतिथि पद से विचार व्यक्त किए और मुनि श्री से सम्पूर्ण वागडवासियों की तरफ से वागड के किसी भी शहर कस्बे में चातुर्मास की प्रार्थना के साथ सागवाडा जैन समाज प्रतिनिधियों की मौजूदगी में श्रीफल भेट किया। खोडणिया ने मुनि के मन को छू जानेवाले वक्तव्य में कहा कि मुनि श्री भारत का हर नागरिक कहता है मुनि श्री केवल मेट्रो सीटी में चातुर्मास करते है उन्होंने दशाधिक तर्क और प्रमाण प्रस्तुत करते हुए सिद्ध किया कि हमारा वागड भी मेट्रो से कम नहीं है खोडणिया के भक्ति पूर्ण प्रस्ताव और प्रार्थना पर मुनि श्री के चेहरे पर मुस्कान दौड गई। प्रवचन माला के विराम दिवस पर पूर्व चिकित्सा राज्यमंतर््ी भवानी जोशी सागवाडा जैन समाज के अध्यक्ष दिलीप सेठ, डा. अजीत कोठारी विशि6ट अतिथि थे। आरंभ में मुनि संघ सेवा समिति के अध्यक्ष सुरेश सिंधवी परिवार ने मुनि श्री के पद प्रक्षालन गुरू पूजन, आरती और शास्तर्् भेट का लाभार्थी बनकर पुण्य अर्जित किया। इस आयोजन में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए मुनि संघ सेवा समिति के महामंतर््ी महावीर बोहरा का सम्मान किया गया।

हमे जो मिला है दिया है उसी ने

करम क्या गजब का किया है तुम्ही ने, किस्म से ज्यादा दिया है तुम्ही ने, ले हाथों में अमृत हम ये सोचते है हमारा जहर भी तो पीया है तुम्ही ने ।क्या ये क्या वो गिनाए हम क्या क्या, हम जो मिला है दिया है तुम्ही ने काव्य पंक्तियों के साथ प्रदेशवासियों, वागडवासियों व बांसवाड़ा के श्रद्धालुओं की ओर से मुनि श्री के सम्मान में लेखक प्रकाश पण्डया ने अपनी आदरांजलि प्रस्तुत की। उन्होंने भगवान श्री राम के शबरी की कुटिया तक पहुंचने और राष्ट्रसंत मुनि श्री तरूण सागर तथा वनवासी क्षेतर्् वागड के श्रद्धालुओं के बीच  गिरि और सागर का अटूट रिश्ता होने की बात कही तो पाण्डाल मुनि श्री के सम्मान में करतल ध्वनि से गूंज उठा।आध्यात्मिक लेखन एवं पतर््कारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रका8ा पंड्या को मुनि श्री नेआ8ीर्वाद दिया तथा मुनि संघ सेवा समिति की ओर से बहुमान किया गया।










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