Friday, April 6, 2012

पृथ्‍वीक्‍लब बना तपस्‍थली


मंत्र दीक्षा विधान में गुरूकृपा की बयार चली

बांसवाड़ा, 06,अप्रेल।

प्रख्यात क्रांतिकारी राष्ट्रसन्त तरूणसागर जी महाराज ने कहा है कि जीवन में जिसके गुरू नहीं जीवन उसका शुरू नहीं। मंत्र आध्यात्मिक विज्ञान है और इनका प्रभाव पृथ्वी से लेकर अंतरिक्ष तक व्याप्त और विद्यमान है। महाराज श्री शुक्रवार को शहर के पृथ्वीक्लब में विभिन्न जाति, धर्मो, वर्गो और समुदायों के मुनि भक्त श्रद्धालुओं को मन्त्र दीक्षा प्रदान करने के बाद मन्त्र महिमा तथा दीक्षा के महत्त्व पर प्रवचन कर रहे थे। मुनिश्री ने कहा मन्त्र जाप विधि पूर्वक होना चाहिए। दीक्षा के बाद नियमों का पालन करने पर ही मन्त्र फलित होते है। इस दौरान बांसवाड़ा जिले के विभिन्न गांवो कस्बो से आये मुनि भक्त श्रद्धालुओं परिवारों ने मुनिश्री से मन्त्र दीक्षा ग्रहण कर सात्विक जीवन जीने और जीवन में किसी भी प्रकार का व्यसन न रखने का संकल्प लिया। सांगीतिक प्रस्तुतियों के बीच मन्त्र दीक्षा कार्यक्रम लगभग पौन घण्टा जिसमें दीक्षार्थियों के साथ ही उपस्थित अन्य श्रद्धालुओं मन्त्र मुग्ध हो इस आध्यात्मिक आयोजन में पुण्य अर्जित करने में एकाग्रचित्त रहे।

दीक्षा का अर्थ अहर्निश सेवा - मुनि तरूणसागर 

कार्यक्रम में प्रवचन करते हुए मुनिश्री ने कहा दीक्षा का अर्थ केवल गुरू का सान्निध्य प्राप्त कर लेना नहीं है दीक्षा का मर्म दिन-रात सेवा में जुटे रहना है मुनिश्री ने कहा कि जिस गुरू से दीक्षा प्राप्त करे केवल उनके प्रति ही आदर रखना ही और उनकी सेवा में रत रहना सफल और पूर्ण साधक की पहचान नहीं है सच्चा साधक वह जो प्रत्येक मुनि के प्रति भक्ति भाव रखते हुए नगर आगमन पर उनकी वैयावृत्ति के साथ सेवा सुश्रूषा में उद्यत रहें। मुनिश्री ने कहा कि मन्त्र की महिमा निराली है शुद्ध भाव से जपने पर मन्त्र न केवल मनोरथ सिद्ध करते है बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करते है क्रान्तिकारी संत ने कहा कि विदेश जाने के लिए यात्री को पासपोर्ट की आवश्यकता होती है लेकिन उस यात्री के वस्त्र पर यदि चीटी सवार हो जाए तो उसके लिए पासपोर्ट नहीं चाहिए। गुरू और शिष्य के बीच भी परम पुरूषार्थ प्राप्ति में भी यही सिद्धान्त काम करता है। गुरू मोक्ष का अनुगामी है तो उसकी शरण में पहुंच कर शिष्य स्वत: ही मोक्ष का अधिकारी बन जाता है।

नजारा तपो भूमि जैसा 

आम तौर पर इण्डोर गेम्स तथा अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रयुक्त होने वाला पृथ्वीक्लब शुक्रवार को अपने बदले हुए किरदार में नजर आया। सफेद धोती के परिधान में पुरूष श्रद्धालु तथा श्वेत परिधान में महिला श्रद्धालुओं की उपस्थिति एवं मन्त्र दीक्षा के लिए उनके सम्मुख रखी पूजन सामग्री के बाद जैसे ही मुनिश्री के मुखारविन्द से दीक्षा सम्बन्धित निर्देश स्वर लहरियां क्लब सभागार गूंजना शुरू हुई तब ऐसा लगा मानो पृथ्वीक्लब शहर के मध्य मनोरंजन का केन्द्र न होकर तपोभूमि बन गया हो।
उपस्थित हर उम्र का श्रद्धालु मन को अदभूत आनन्द देने वाले इस दृश्य में स्वयं को लीन करता महसूस हो रहा था। मुनिश्री के साधक भक्त ब्रम्हचारी सचिन भैया व सहयोगी ने मन्त्र दीक्षा कार्यक्रम के दौरान मुनिश्री को गुरू के रूप में विभिन्न प्रकार से जैन शास्त्र सम्बन्ध अध्र्य अर्पण का विधान सम्पन्न कराया। एक घण्टे तक क्लब सभागार स्वाहा के जयघोष से गूंजता रहा।


साबित किया अंगुली पर नचाना

गुरू के आदेश पर भक्त और शिष्य क्या कुछ नहीं कर सकता गुरू की अंगुली के इशारे पर भक्त को नाचना भी पड़ सकता है यह साबित हो गया शुक्रवार को उस समय जब गुरू मन्त्र दीक्षा विधि के दौरान अध्र्य अर्पण प्रक्रिया में दीक्षार्थी श्रद्धालुओं द्वारा नृत्य पूर्वक अंजली दी गई। इसके बाद मुनिश्री ने इस कार्यक्रम के अतिथियों को आदेशित किया कि सभी अतिथि भी नृत्य करेंगे।
गुरू का आदेश शिरोधार्य मानकर आयोजन के अतिथि एडवोकेट सुरेश जैन, तरूणक्रान्ति मंच के ट्रस्टी निर्दोष जैन, मुनि संघ सेवा समिति के अध्यक्ष सुरेश सिंघवी, उपाध्यक्ष अशोक जैन, महामंत्री महावीर बोहरा सहित अन्य अतिथियों ने मुनिश्री के सम्मुख ही भक्ति गीत पर नृत्य प्रस्तुतियां दी और भक्ति की मस्ती में खोकर खूब झूमे।


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