Wednesday, April 4, 2012

अहिंसा महाकुंभ प्रणेता के मुख से छलके अमृत बिन्दु कडवे प्रवचन माला का विराम दिवस आज


बांसवाड़ा, 4 अप्रेल।
अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत जैसे कालजेयी सिद्धान्तों के जन्मदाता भगवान महावीर स्वामी की जन्म जयंती पर बांसवाड़ा के ऐतिहासिक कुशलबाग मैदान में राष्ट्रसंत क्रान्तिकारी मुनि तरूण सागर महाराज के कडवे प्रवचन माला के चौथे दिन अहिंसा महाकुंभ के प्रणेता संत के मुख से अमृत बिन्दुओं की बरसात होती रही। हजारों श्रद्धालु इस अमृत वर्षा में जी भर कर भीगते हुए जीवन कल्याण की राह तलाशते रहे। मुनि श्री के मुखारविन्द से बडे महत्व का प्रवचन सुनने के लिए चौथे दिन भी तीन चौथाई कुशलबाग मैदान में बना पाण्डाल एक बार फिर छोटा पड गया। प्रवचन माला के चौथे दिन मुनी श्री के मुखारविन्द से छलके अमृत बिन्दु संकलित करने और उनसे जीवन धन्य बनाने की होड में आम और खास श्रद्धालू मुनिवर का अनन्य अनुयायी बनकर समय की रेत पर उसे टटोलता रहा।
 -अहिंसा अपरिग्रह और अनेकांत का सिद्धान्त ही धरती पर स्वर्ग के द्वार खोल सकता है। भगवान महावीर स्वामी ने निग्र्रन्थ जीवन सू़त्र का प्रतिपादन किया है। इसी को आत्मसात कर विश्व में प्रेम भाईचारा और शांति की स्थापना हो सकती है। -महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के बुते विदेशी हुकुमत से हमे आजादी दिलाई। लेकिन 500 सौ की नोट को आगे पीछे और उलट पुलट देखकर मन में आता है कि हैं बापु जीवन भर तुम बैठे लंगोट में आज तुम्ही बैठे हो पांच सौ के नोट में।
-दुनिया में आज अमृत की मात्रा बहुत कम हो गई है इसलिए कडवे घुट पीने की आदत डालो मैं पूरे देष में घुमा हूं मुझे आज तक कोई दुकान ऐसी नहीं मिली जहां अमृत बिकता हो अमृत तो संतों की वाणी में टपका करता है। -हठाग्रही, कदाग्रही, विचारों के दूराग्रही मन बनिये। विचारो का दूराग्रह ही संघर्ष का सबसे बड़ा कारण है। -भगवान महावीर ने कहा है कुछ पाना है तो कुछ छोडो, कुछ कुछ पाने के लिए कुछ कुछ छोडो, बहुत कुछ पाने के लिए बहुत कुछ और सब कुछ पाने के लिए सब कुछ छोडो। -अच्छाई और सच्चाई को विनम्रता से स्वीकार करो जरूरी नहीं कि सत्य केवल अपने ही पास हो। यह प्रतिपक्षी के पास भी हो सकता है। -संयुक्त राष्ट्रसंघ के जब विश्व के देश निशस्त्रीकरण और विश्व शंाति की बात कर रहे होते है या फिर दो पडौसी देश आपसी भाईचारे के लिए मेज पर आमने सामने जुटते है तब भी मुझे मेरा महावीर और भगवान महावीर के सिद्धान्त साकार होते दिखाई पडते है। -हर मजहब का हर शख्स अपने धर्माधिकारी और मजहब के उसुलों तथा सिद्धान्तों की प्रशंसा तो करता है उसे पसन्द नहीं करता है। बहु चालाक है आज का आदमी। उसे पता है प्रशंसा में दो तोले का कोई उपकरण चाहिए जबकि पसन्द करने के लिए दो मन का शरीर हिलाना पडता है।
-लोग मुझे पूछते है मुनि श्री पुराने जमाने में तो साधु और मुनि जंगल में रहते थे आप शहर में क्यों आते हो? मैं कहता हूं उस जमाने में जंगल में शेर, भालू, कुत्ते, रीछ जैसे जानवर हुआ करते थे। गुफा में बैठकर साधु और मुनि अपनी तपस्या से निर्जरा कर लिया करते थे अब जंगल तो समाप्त हो गए वही शेर, भालु और कुत्ते जंगल छोडक़र शहर में आ गए तो हम भी शहर में आ गए। -जिन्दगी का रिमोट अपने हाथ में रखिए प्रतिपक्षी की किसी भी प्रतिक्रिया पर विचलित मत होइए। दुनिया का तो काम ही कुछ न कुछ कहना है। जिन्दगी का रिमोट यदि किसी ओर के हाथ में है तो जीवन बरबाद समझो। -घर में समता, सहिष्णुता, क्षमा और शांति के जल की हमेशा व्यवस्था करके रखिए जाने कब शाट सर्किट हो जाए और आग लग जाए क्योकि पडौसी तो तुम्हारा पेट्रोल लेकर बैठा है जैसे भारत का पडौसी बैठा रहता है। -सहनशीलता ही अमृत है, मुझे बडा दुख होता है जब आज 6 साल का बच्चा अपने मॉ बाप से कहता है मुझसे बात मत करो मेरा मुड ठीक नहीं है। -जीवन की सफलता के लिए दिमाग को ठंडा, जेब गर्म, आंखों में रहम और जुबान पर शुगर की फैक्ट्री रखा करो । आज का ईंसान घर और दफतर और गाडी में तो ए सी में रहता है लेकिन दिमाग में हिटर लगा रखा है। -संसार चक्रवर्ती की पूजा नहीं करता वह तो त्यागियों की पूजा करता है चक्रवर्ती राजा दशरथ पूजा कर आशीर्वाद लेने कुटिया में रहने वाले ऋषि वशिष्ठ के पास जाया करते थे। कडवे प्रवचन माला का विराम दिवस आज तो बिजलियां तो गिरेंगी ही मुनि श्री ने चौथे दिन के प्रवचन में भी वीर रस की शैली में हास परिहास और मनोविनोद का अदभूत समन्वय बैठाते हुए हजारों श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पाण्डाल में मुस्कान, भक्ति और सीख की त्रिवेणी प्रवाहित की। लौकिक प्रसंग ने मुनि श्री ने कहा लोग कहते है रिश्ते आसमान में तय होते है पति पत्नी का किस्सा उदृत करते हुए मुनि श्री ने कहा कि जब रिश्ते आसमान में ही तय होते है तो फिर बिजलियां तो गिरेंगी ही पति पत्नी के बीच कलह को लेकर आश्चर्य क्यों? लेकिन यह कलह मिटाने की एक कुंजी है वह है मौन बस सहनशील रहो। क्रोध ही धर्म निरपेक्ष मुनि श्री ने अत्यन्त मार्मिक और चिन्तन शील लोगों के लिए सोच के महासमुद्र में एक ऐसा विचार छोडा जिसकी थाह पाने श्रद्धालु श्रोता गहराई तक पेठते रहे मुनि श्री ने कहा आज कोई भी मजहब हो अधिकांश व्यक्ति किसी छोटीसी बात को लेकर क्रोध की अग्नि में भडक उठता है। हिन्दू हो, मुसलमान हो, सिक्ख हो, ईसाई हो, जैनी हो कोई भी मजहब का व्यक्ति हो क्रोध उसके सिर पर चौबीस घंटे मंडराता रहता है। इस देश में ओर कुछ धर्म निरपेक्ष हो न हो क्रोध धर्म निरपेक्ष है। उन्होंने क्रोध पर नियन्त्रण को घोर तपस्या की संज्ञा दी और कहा कि अपमान के घुट पीना और क्रोध को बर्दाश्त कर लेना तपस्या से कम नहीं। एक गृहस्थ की सबसे बडी तपस्या क्रोध पर काबु करना है। तराजू का सूत्र मुनि श्री ने कहा जीवन में सफलता के लिए तराजू का उसूल अपनाओं। तराजू के जिस पलडे में कुछ रखा होता है वह भारी रहता है। जिसके पास कुछ नहीं रहता वह उपर की ओर उठा रहता है जीवन में भी यही सिद्धान्त काम करता है। जिसने संग्रहित कर रखा है वह जमीन पर पडा है जिसने सबकुछ छोड दिया और खाली है वह उपर उठा रहता है। इसलिए केवल संग्रहित मत करो। भगवान महावीर, राम, बुद्ध सबने कहा छोडो, छोडो, छोडो लेकिन आज का इंसान कहता है जोडो, जोडो, जोडो।

वागड विश्व में सबसे आगे-तोषनीवाल प्रख्यात उद्योगपति एवं बांसवाड़ा सिन्टेक्स मिल के सीएमडी आर एल तोषनीवाल प्रवचनमाला के चौथे दिन मुख्य अतिथि के रूप में सत्संग कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। उन्होंने मुनि श्री को श्रीफल भेटकेर आशीवार्द लिया अपने संक्षिप्त उदबोधन में तोषनीवाल ने कहा कि वागड काभविष्य उज्ज्वल है वर्तमान में यहां से 1500 करोड रूपए के उत्पाद का निर्यात होता है वागड विश्व में सबसे आगे होगा। उन्होंने इस अभिलाषा की पूर्णता के लिए मुनि श्री से आशीर्वाद की प्रार्थना की । इस अवसर पर जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजयसिंह नाहटा विशिष्ट अतिथि थे। चौथे दिन मंच पर साम्प्रदायिक सदभाव की झलक भी देखने को मिली। मशहूर सूफी शायर मरहुम बिस्मिल नक्षबंदी द्वारा स्थापित खान ख्वाह फैजाने रेहमत कमेटी के मेम्बरान तथा हिन्दु रक्षक सेना के प्रतिनिधि मुनि श्री का आशीर्वाद लेने कुशलबाग मैदान पहुंचे। फैजाने रेहमत कमेटी के पदाधिकारियों ने अनूठी कलाकृति के रूप में ओम लिखी हुई अदभूत शील्प से सजी तस्वीर मुनि श्री को भेट की। इस अवसर पर जैन संगठन के प्रदेश मंत्री विकेश मेहता ने भी विचार व्यक्त किए। जाने माने व्यवसायी अशोक बोहरा व परिवार ने मुनि श्री का पग प्रक्षालन, शास्त्र भेट, गुरू पूजन व आरती का लाभ लेकर पुण्य अर्जित किया। संलेखना तीर्थ में योगदान करने वाले परम संरक्षक अशोक बोहरा तथा संरक्षक सुरेश सिंघवी का बहुमान किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रहृमचारी सचिन भैया ने किया। गुरूवार को कडवे प्रवचन माला का विराम दिवस होगा। देश में दे बांसवाड़ा की मिसाल- हर्ष कोठारी जाने माने उद्यमी एवं ओम शिरडी सांई बाबा दीनबन्धु ट्रस्ट के अध्यक्ष एडवोकेट हर्ष कोठारी मुनि श्री के प्रवचनों से अभिभूत होकर कृतज्ञ भाव से कहते है मुनि श्री के आगमन से वागड का चप्पा चप्पा और जर्रा जर्रा उपकृत हो गया। वे कहते है मुनि श्री से प्रार्थना है किे वे देश के जिस किसी कौने में जाए वे बांसवाड़ा की कलह मुक्त संयुक्त परिवार व्यवस्था, यहां के लोगों की निश्छलता और बाल सुलभ भक्ति की मिसाल का उदाहरण जरूर सुनाए। उनके पधारने से बांसवाड़ा की भक्ति धरा और वेगवान हो गई है। यहां के लोगों के मन में आस्था की हिलोर तेज हो गई है और भविष्य दसों दिशाओं से उज्ज्वल नजर आने लगा है।

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