Tuesday, April 3, 2012

जहां तर्क वहां नर्क, जहां समर्पण वहां स्वर्ग -राष्ट्रसंत तरूण सागर

प्रकाश पण्‍ड़या
बांसवाड़ा, 3 अप्रेल। इस युग में क्यों के सर्वाधिक प्रयोग ने संघर्ष पैदा कर दिया है। आदमी इतना तार्किक हो गया है कि चूप रहने के बजाय वह क्यो की बौछार लगा देता है। जीवन का सच यह है कि जहां तर्क है वहां नर्क है और जहां समर्पण है वहां स्वर्ग है। यह कहना है राष्ट्रसंत मुनि श्री तरूण सागर जी महाराज का। बांसवाड़ा के एतिहासिक कुशलबाग मैदान में कड़वे प्रवचन माला के तीसरे दिन मुनि श्री ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए जीवन में समस्याओं के अम्बार से निजात के सूतर्् बताए साथ ही भाग्यवाद को छोड़कर पुरूषार्थ का दामन थामने के लिए प्रेरित किया। मुनि श्री ने कहा आज हर प्रकार के इंसान के सामने समस्याएं है। अमीर के सामने क्या खाए कि भूख लगे और गरीब के सामने भूख लगे तो क्या खाए कि समस्या है। युवा के सामने क्या करे समय नहीं मिलता और वृद्ध के सामने क्या करे कि समय नहीं कटता की समस्या है। समृद्ध के सामने क्या क्या पहने कि समस्या है तो विपन्न के सामने क्या पहने की समस्या है। मुनि श्री ने कहा कि समस्याओं का एक ही समाधान है और वह भगवान महावीर स्वामी ने तपस्या के रूप में संसार के सामने रखा है। सन्यास ही नहीं गृहस्थ भी तपोभूमि हो सकता है। किसी छोटी सी बात पर क्रोध आ जाए और उस पर नियन्तर््ण भी तपस्या है। मुनि श्री ने आह्वान किया कि जीवन में भाग्यवादी बने रहना पर्याप्त नहीं है। सदैव पुरूषार्थी बने रहना जीवन का मकसद होना चाहिए। मुनि श्री ने भगवान महावीर के उपदेश और संदेश जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर सभी राजपुतर्् थे लेकिन जीवन में त्याग के कारण आज वे भगवत पद प्राप्त कर पूजनीय है। जीवन में विनम्र बने रहिये। विनम्रता जिंदा होने की पहचान है। मुनि श्री ने कहा कि सच्चाई दो प्रकार की है एक व्यावहारिक व दूसरी वास्तविक। व्यावहारिक सच्चाई की गफलत में आज का मानव वास्तविक सच्चाई को भुला बैठा है। इसी कारण मनु8य का जीवन वरदान होने के स्थान पर अभिशाप होता चला जा रहा है।

छोड़ दो

म्ुानि श्री ने जीवन में अर्जन और विसर्जन की महिमा में अन्तर प्रतिपादित करते हुए कहा कि संसार ने उसी की पूजा की है जिसने समर्पण किया है। 
विसर्जन को भी जीवन में अपनाओं। अर्जन के साथ विसर्जन पर विश्वास रखों कही ऎसा न हो जाए कि अर्जन करते करते ही विसर्जन हो जाए। गणितीय अंदाज में मुनि श्री ने कहा 10 साल में मॉ की अंगूली, 20 साल में खिलौने से खेल, 30 साल में आंखे घुमाना, चालीस साल में रात में खाना, 50 साल में होटल में जाना, 60 साल में वणिक वृत्ति, 70 साल में डनलप पर सोना, 80 साल में लस्सी पीना, 90 साल में ओर जीने की आशा तथा 100 वे साल में दुनिया छोड दो। जीवन का अर्थ समझ में आ जाएगा और सिद्ध भी हो जाएगा।

गलत तो तब होता.....

म्ुानि श्री ने जीवन में सहनशीलता और संयम के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि आज का इंसान सुनना नहीं चाहता। एक बात का जवाब दस बातो में देता है। सास की एक बात का जवाब बहु दस बातो में देती है। मॉ बेटे में, पिता पुतर्् में, मालिक नौकर में तकरार बनी ही रहती है मुनि श्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति ने आवेश में आकर आपको कुत्ता कह दिया बस इतना कहते ही आपने भौकना शुरू कर दिया अब आप ही बताओं कि उसने गलत क्या कहा? गलत तो तब होता जब आप मौन रह जाते।

सास विपक्ष में नहीं होगी

म्ुानि श्री ने पारिवारिक कलह के स्थान पर परिवार में शांति की स्थापना के लिए कालजेयी सूतर्् प्रतिपादित करते हुए कहा यदि घर में बहु और बेटी में विवाद हो जाए तो समझदार सास को हमेशा बहु का पक्ष लेना चाहिए। जो सास विवाद की स्थिति में बहु का पक्ष लेगी वो कभी विपक्ष में नहीं बैठेगी। मुनि श्री ने कहा कि परिवार में पति पत्नी, सास-बहु, पिता-पुतर्् में से किसी भी एक में समझदारी हो तो वह परिवार हरिद्वार बन जाता है। मुनि श्री ने आज भी लडका लडकी में भेद करने की मानसिकता पर चिंता चताई और कहा कि वो सास धर्मात्मा नहीं है जो रोज मंदिर जाती है वो सास धर्मात्मा है जो बहु बेटी में फर्क नहीं समझती है।

चिडिया की चोच का पानी

जीवन में नकारात्मक दृष्टिकोण के स्थान पर सकारात्मक सोच अपनाने और अपनी क्षमता के अनुसार किसी का भला करने में पूरी उर्जा उण्डेलने का आहृवान करते हुए मुनि श्री ने घर में लगी आग और उस आग को बुझाने में चिडिया के किरदार को बडे ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत कर पूरे पाण्डाल के वातावरण को भावुकता में बदल दिया। मुनि श्री ने कहा कि तालाब किनारे बने घर में लगी आग को बुझाने के लिए एक चिडिया चोच में पानी लेकर लगातार प्रयास कर रही थी इस पर उसे एक बन्दर ने टोका और कहा कि तुम्हारी दो बुंद से आग नहीं बुझने वाली तो चिडिया ने उत्तर दिया मुझे पता है लेकिन मैं चाहती हूं कि जब भी इस आग की कहानी लिखी जाएगी तब मेरा नाम आग लगाने वालों में नहीं, आग बुझाने वालों में आएगा। मुनि श्री ने आहवान किया कि सामाजिक विसंगतियों, राष्ट्र में व्याप्त विदु्रपताओं और समस्याओं के समाधान में हमारी भूमिका भी चिडिया की चोच में भरे पानी की सोच जैसी होनी चाहिए।

महापुरूष का सार्टिफिकेट

मुनि श्री ने आम आदमी से उपर उठकर महापुरूष बनने की हसरत पूरी करने का सार्टिफिकेट देने का अपना अंदाजे बयां किया तो पाण्डाल ने हर्ष मिश्रित व्यंग्य का वातावरण पसर गया। मुनि श्री ने कहा कि संत तुकाराम की पत्नी तेज तर्रार थी, कालीदास की पत्नी तेज तर्रार थी, गोस्वामी तुलसीदास की पत्नी तेज तर्रार थी, यही नहीं शेक्सपीयर की पत्नी भी उतनी ही तेज तर्रार थी और ये सभी महापुरूष बने इसलिए यदि आपकी पत्नी भी तेज तर्रार है तो आप आज ही मुझने महापुरूष का सार्टिफिकेट ले जाइए। इस पर महिला और पुरूष दोनों ही भागों में हंसी के फव्वारे छुट पडे। और उपस्थित श्रद्धालु हाल ए बयां के गणित में खो गया।

विधायक बामनिया ने लिया आशीर्वाद

प्रवचन माला के तीसरे दिन बांसवाड़ा के विधायक अर्जुन बामनिया मुख्य अतिथि के रूप में सत्संग कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। 
उन्होंने मुनि श्री को श्रीफल भेट कर आशीर्वाद लिया। मुनि संघ सेवा समिति ने जैन समाज की ओर से उनका स्वागत किया। इससे पूर्व मांगीलाल कोठारी ने पद प्रक्षालन, कृष्ण मुरारी गौतम ने गुरू पूजन, सोहनलाल मेहता ने शास्तर्् भेट किए जबकि संजय, राजेश एवं नितेश गांधी तथा प्रदीप पिण्डारमिया, रतनलाल पिण्डारमिया को संलेखना तीर्थ का लाभार्थी होने पर सम्मान किया गया। महावीर जयंती पर बुधवार को मुनि श्री का प्रातः साढे आठ बजे कुशलबाग मैदान में विशेष प्रवचन होगा। 

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